राष्ट्र जगत संवाददाता
बरेली। 107वें उर्स-ए-रज़वी के मौके पर आला हजरत वेलफेयर सोसाइटी की जानिब से इस साल भी सालाना लंगर का इंतज़ाम किया गया है। यह सिलसिला लगातार पिछले 23 सालों से जारी है और समाजसेवा का बेहतरीन उदाहरण पेश करता आ रहा है।सोसाइटी के ज़िम्मेदारान ने जानकारी दी कि लंगर चार दिन तक इस्लामिया स्कूल के अंदर जारी रहेगा, जिसमें दूर-दराज़ से आने वाले उर्स के मेहमानों की खिदमत की जाएगी। हर साल की तरह इस बार भी कमेटी के तमाम सदस्य तन-मन से मेहमाननवाज़ी में जुटे हुए हैं।
आला हजरत वेलफेयर सोसाइटी के सदर हसीन अहमद रिज़वी ने बताया कि यह लंगर महज़ खाने का इंतज़ाम नहीं बल्कि इंसानियत और मोहब्बत का पैग़ाम है। उन्होंने कहा कि आला हजरत की तालीमात हमें इंसानियत की सेवा का सबक देती हैं और इसी लंगर को आगे बढ़ाते हुए यह सिलसिला जारी रखा गया है।
कमेटी का कहना है कि उर्स-ए-रज़वी न सिर्फ़ आध्यात्मिक महफ़िल है बल्कि एकता, भाईचारे और इंसानियत की तालीम का ज़रिया भी है। इसी मक़सद से लंगर का यह आयोजन हर साल बड़े पैमाने पर किया जाता है ताकि कोई भी मेहमान भूखा न लौटे और आला हजरत के पैग़ाम-ए-मोहब्बत को अमली जामा पहनाया जा सके।
कमेटी के संस्थापक रियासत बैग, मौलाना मुजीबुर रहमान, कैसर अली, सफीकुल अहमद, समसुल राजा खान, इमरान राजा खान, जहीरूद्दीन, अरशद अली, मोहम्मद मदनी, रिज़वान, अरशद खान, हाफिज राशिद अली, गुलाम-ए-मुस्तफा, तालिब और यासीन समेत तमाम लोग मेहमानों की खिदमत में दिन-रात लगे हुए हैं।