अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ‘गोल्डन डोम’ मिसाइल डिफेंस सिस्टम के एक डिजाइन को चुना है जो उनके मुताबिक़ ‘भविष्य का मिसाइल डिफेंस सिस्टम’ होगा. ट्रंप ने कहा कि उनके मौजूदा कार्यकाल के आख़िर तक ये सिस्टम काम करना शुरू कर देगा.

ट्रंप ने कहा है कि इसका लक्ष्य अमेरिका को ‘अगली पीढ़ी’ के हवाई ख़तरों से लड़ने में सक्षम बनाना है. इनमें बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों के ख़तरों से निपटना भी शामिल है.

दुनिया के अलग-अलग देशों के पास अपना एयर डिफ़ेंस सिस्टम होता है, जो युद्ध के हालात में किसी भी देश की सुरक्षा के लिए काफ़ी अहम है.

इस कहानी में हम जानने की कोशिश करेंगे कि एयर डिफ़ेंस सिस्टम के मामले में भारत कहां खड़ा है और दुनिया के प्रमुख देशों के पास कौन-से एयर डिफ़ेंस सिस्टम मौजूद हैं.
यह प्रणाली रडार, सेंसर, मिसाइल, और गन सिस्टम का उपयोग करके हवाई ख़तरों का पता लगाती है, उन्हें ट्रैक करती है और उन्हें नष्ट करने के लिए जवाबी कार्रवाई करती है.

वायु रक्षा प्रणाली को एक जगह तैनात रखा जा सकता है या इसे एक जगह से दूसरी जगह भी ले जा सकते हैं. यह छोटे ड्रोन से लेकर बैलिस्टिक मिसाइल जैसे बड़े ख़तरों तक को रोकने में सक्षम होती है.

एयर डिफ़ेंस सिस्टम चार मुख्य हिस्सों में काम करता है. रडार और सेंसर दुश्मन के विमानों, मिसाइलों और ड्रोन का पता लगाते हैं. कमांड एंड कंट्रोल सेंटर डेटा प्रोसेस कर प्राथमिकता तय करता है.

हथियार प्रणालियां ख़तरों को रोकती हैं, जबकि मोबाइल यूनिट्स तेजी से तैनाती में सक्षम होती हैं, जो इसे युद्धक्षेत्र में बेहद प्रभावी बनाती हैं.

Spread the love