हिंदी पत्रकारिता दिवस पर सत्ता एक्सप्रेस अखबार की दोगली राजनीति आई सामने

सत्ता एक्सप्रेस समाचार पत्र ने एक कहावत सिद्ध कर दी
अंधा बांटे रेवड़ी अपने अपने को दे”

बरेली। जहां एक तरफ हिन्दी पत्रकारिता दिवस पर अनेकों कार्यक्रम जगह जगह पत्रकारों के लिए आयोजित किए गए वही बरेली जिला में रोहिलखंड यूनिवर्सिटी के प्रांगण में सत्ता एक्सप्रेस समाचार पत्र द्वारा हिन्दी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर पत्रकारों का सम्मान किया गया। कार्यक्रम आयोजक बरेली के आलोक सक्सेना ब्यूरो चीफ ने एक दिन पूर्व बरेली के सम्पादक से उपजा में अपने कार्यक्रम की चर्चा की तब उन्होंने कहा मै साथ हूँ। उनके द्वारा कार्यक्रम में 2 बजे से अपने साथियों के साथ 5 बजे तक प्रबंधन किया जहां सरस्वती माता की पोट्रेट नहीं थी कार्यक्रम में तुरंत उपलब्ध करवाई अचानक मुख्य अतिथि के आने का समय हुआ तो एक प्लेट बैच रखने को उपलब्ध करवाई उसके बाद जब पत्रकारों का सम्मान हुआ, तब उन्होंने कहा पत्रकार की संख्या अधिक है हमारे पास सम्मान पत्र बहुत कम है, इस पर संपादक ने कहा आप ऐसा करे कि हमारा नाम सम्मान से हटवा दे क्यों कि हम आपके सहयोगी है तन मन धन से, जबकि हमारे सम्मानित पत्रकार जो कि न्यूज चैनल से व दैनिक अखबार से आए हुए है उनका सम्मान अवश्य करवाए लेकिन राजनीति चरम पर इस प्रकार है कि आज कल अपने अपने को लोग सम्मानित करते है।उन्हें इससे मतलब नहीं किसने आपके लिए क्या किया। 3 से 4 बार याद दिलवाया गया क्यों कि ऐसे कार्यक्रम में याद नहीं रहता किसका सम्मान होना है किसका नहीं। उसके बाद पत्रकारों का विरोध शुरू हुआ । वही जहां हिंदी पत्रकारिता दिवस पर सम्मान की बात करते है वहीं 3 घंटे पत्रकारों को बैठाए रखा ना ही पानी ना ही चाय और उसके बाद अपमान ऐसे किया जैसे कि आज के बाद कभी हमें जानना नहीं और पहचाना नहीं। काफी पत्रकारों में रोष व्याप्त है, पत्रकार से अपमान सत्ता एक्सप्रेस अखबार के लिए एक अभिशाप साबित होगा, कार्यक्रम में आगे पीछे सबको बुलाया गया, किसी को दिया सम्मान पत्र तो किसी को केवल फूल, साथ ही सबका समय खराब करवाया वो अलग, सिर्फ भाषण पर ही पूरा प्रोग्राम केन्द्रित रहा।

जिला सूचना अधिकारी जी को भी बोलने के लिए नहीं कहा गया। एक फ्रेम और गिफ्ट के लिए सब कार्यक्रम अस्त व्यस्त कर दिया। ऐसा लगा आपस में आयोजकों में समन्वय ही नहीं था। कुल मिलाकर कार्यक्रम में क्या चल रहा है य़ह समझ से बाहर है।

फिलहाल कार्यक्रम लगभग नीरसता से भरा था, ऐसे कार्यक्रम पत्रकारों का मनोबल गिराते हैं।

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