राष्ट्र जगत संवाददाता

बरेली। श्री आनंद आश्रम मंदिर प्रांगण में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिवस पर महामंडलेश्वर आचार्य श्री संजीव कृष्ण जी महाराज ने भगवान श्री कृष्ण के माखन चोरी रासलीलाओं सहित गोवर्धन पूजा की कथा को बड़े ही मार्मिक ढंग से कहा उन्होंने बताया कि जब पटना अपने स्तनों में विष धारण कर श्री कृष्ण का प्राण हरण करने आई तो भगवान मंद मंद मुस्कुराते हुए उतना की गोदी में चले गए पूतना ने उन्हें अपना स्तनपान कराया और श्री कृष्ण ने स्तनपान करते-करते उसके प्राण हर लिए मां यशोदा दौड़ी घबराई अपने लाल को ढूंढते हुए पहुंची और श्री कृष्ण जी को दुलारने लगी महाराज श्री जी ने बताया कि राम अवतार में सूर्पनखा सुंदरी का रूप धारण कर प्रभु श्री राम के समक्ष आई और कृष्ण अवतार में पूतना ने सुंदर महिला का रूप धारण किया परंतु ईश्वर को तो अंदर की सुंदरता ही पसंद आती है उन्होंने अंदर से कपट और छल् दभं में भरी पूतना व सूर्पनखा को पहचान लिया और उसे उचित दंड भी दिया उन्होंने बृजवासियों की रक्षा हेतु गोवर्धन की महिमा का गण करते हुए गोवर्धन पूजा का महत्व बताया साथ ही विभिन्न लीलाओं का वर्णन भी किया जिसमें सर्वप्रथम गौ सेवा संवर्धन रक्षा का प्रण लिया गया तथा समाज को गौ सेवा हेतु जागरूक करने के लिए अपनी समर्थ अनुसार कार्य करने को कहा। गौ माता सनातन धर्म को मानने वालों के जीवन के 16 संस्कारों में किसी न किसी रूप में महत्वपूर्ण रूप से शामिल की गई है वह जब से जन्म लेता है तथा मृत्यु तक आवश्यक रूप से उसकी सेवा करने व उपयोगिता को दर्शाता है आज के वैज्ञानिक भी अब यह सिद्ध कर चुके हैं कि हमारी देसी नस्ल की गाय पृथ्वी पर सर्वश्रेष्ठ है। तथा उसके द्वारा प्रदत्त सभी प्रकार के द्रव्य अत्यधिक महत्वपूर्ण है गाय के दूध की उपयोगिता को तो हम सभी जानते हैं परंतु उसके मूत्र वह गोबर के उपयोग के प्रचार प्रसार की आवश्यकता है जहां गाय बधंती है वह स्थान पवित्र हो जाता है। वहां अकाल मृत्यु नहीं होती है भूकंप आने पर किसी भी प्रकार के नुकसान की संभावना लगभग नगर में हो जाती है तथा यदि हम आर्थिक आधार पर गणना करें तो एक गए कई लाख रुपए का लाभ अपने जीवन में मानव जाति को प्रदान करती है इसी को ध्यान में रखते हुए आज कई औद्योगिक घराने दूध के अलावा गोमूत्र व गोवर के आने को उत्पाद बाजार में उतरकर बहुत साधन अर्जित कर रहे हैं अतः आज गाय दुधारू न होकर वह उपयोगी हो गई है और आज आवश्यकता आरक्षण व संवर्धन की अत्यधिक हो गई है इसके लिए प्रत्येक मानव को अपने-अपने प्रयास करने होंगे तभी हमारी देसी गाय बच पाएंगी। इसी के साथ सुंदर भजन कहते हुए गोवर्धन जी की सभी भक्तों को परिक्रमा लगवाई गोवर्धन जी शुद्ध देसी गौ माता के गोबर से बनाए गए थे।
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